रविवार, 22 नवंबर 2020

Citizenship

 

नागरिकता(Citizenship)

किसी भी राज्य की जनसंख्या को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है- पहला नागरिक, दूसरा अन्य देशी। नागरिक को सिविल अधिकार प्राप्त है, परन्तु विदेशियों को यह अधिकार नही मिलते है। संविधान में नागरिकता की कोई परिभाषा नही दी गई है। भारत में ब्रिटेन के समान एकल नागरिकता की कोई परिभाषा नही दी गई है, जबकि अमेरिका में दोहरी नागरिकता।

नोट- हमारा संविधान परिसंघीय है, फिर भी इसमें केवल एक ही नागरिकता की व्यवस्था है अर्थात भारत की नागरिकता। जबकि अमेरिका परिसंघीय राज्य है और वहाँ दोहरी नागरिकता है अर्थात परिसंघ की या राष्ट्रीय नागरिकता और उस राज्य की नागरिकता जहाँ उस व्यक्ति का जन्म हुआ है, जहाँ वह स्थायी रुप से निवास करता है।

संविधान नागरिकता से सम्बन्धित पूरी विधि नही प्रस्तुत करता है। संविधान का भाग-2 केवल उन वर्गों के लोगों के बारे में उल्लेख करता है, जो संविधान के लागू होने का समय अर्थात 26 जनवरी 1950 को भारतीय नागरिक माने गये थे और नागरिकता से सम्बन्धित शेष बातों के लिए विधि बनाने की शक्ति संसद को प्रदान करता है तथा अनुच्छेद-2 संसद को इस विषय पर विधि बनाने की शक्ति प्रदान करता है, जिसके तहत् संसद द्वारा भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 में यह भी अभिकथित है, कि- संविधान के उपबन्धों के अधीन किस प्रकार किसी व्यक्ति की भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाये, चाहे वह नागरिकता अधिनियम 1955 के अधीन अर्जित की गई हो या उसके पूर्व ( अनुच्छेद-(5-8) ) के अधीन। यह तीन प्रकार की हो सकती है-

 1. त्यागने पर (स्वेच्छा से छोड़ने पर)

 2. पर्यवासन पर ( स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता लेने पर)

 3. वंचित किये जाने पर ( जबरदस्ती निकाल दिये जाने पर)

संविधान के प्रारम्भ पर नागरिकता- संविधान के निम्न व्यक्ति भारत के नागरिक होंगे-

·        अधिवास द्वारा।

·        पाकिस्तान से प्रवर्जन करके आये हुए व्यक्तियों की नागरिकता।

·        भारत से पाकिस्तान प्रवर्जन करने वाले व्यक्तियों की नागरिकता।

·        विदेशों में रहने वाले व्यक्तियों की नागरिकता।

अनुच्छेद-9:वह व्यक्ति भारत का नागरिक नही होगा या भारत का नागरिक नही माना जायेगा, जो स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता स्वीकार कर लेगा।

अनुच्छेद-10: संसद द्वारा नागरिकता के अधिकारों का विनियमन।

अनुच्छेद-10 यह उपबन्धित करता है, कि व्यक्ति पूर्ववर्ती उपबन्धों के अनुसार भारत का नागरिक है या समझा जाता है। वह भारत का नागरिक बना रहेगा, किन्तु उसका यह अधिकार संसद द्वारा बनायी गई विधि के अधीन होगा। नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार भारतीय नागरिकता पाँच प्रकार से प्राप्त की जा सकती है-

1. जन्म से- प्रत्येक व्यक्ति, जिसका जन्म संविधान लागू होने अर्थात 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत में हुआ हो, वह जन्म से भारत का नागरिक होगा, यदि कोई व्यक्ति भारत के राज्य क्षेत्र में अधिवासी है और जो भारत के राज्य क्षेत्र में जन्मा है, चाहे उसके माता-पिता की राष्ट्रीयता कुछ भी हो, वह भारत का नागरिक होगा।

2. वंशक्रम द्वारा नागरिकता- कोई ऐसा व्यक्ति, जो 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत के बाहर पैदा हुआ हो। वंशक्रम के अनुसार भारत का नागरिक होगा, यदि उसके जन्म के समय उसके माता या पिता में से कोई भी भारत का नागरिक हो।

नोट:- माता की नागरिकता के आधार पर विदेश में जन्में व्यक्ति को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान नागरिकता संशोधन अधिनियम 1922 में किया गया

3. पंजीकरण द्वारा नागरिकता- निम्न व्यक्तियों में से कोई व्यक्ति पंजीकरण द्वारा भारतीय नागरिकता ग्रहण कर सकता है-

·        ऐसा व्यक्ति, जिसका जन्म भारत में हुआ हो, किन्तु भारत से बाहर किसी अन्य देश में निवास कर रहा हो।

·        ऐसी विदेशी महिला, जो किसी भारतीय से विवाह कर चुकी हो या करने वाली हो।

·        भारतीय नागरिकों के अवयस्क बच्चें।

·        राष्ट्रमण्डल देशों के ऐसे नागरिक, जो भारत में रहते हो या भारत सरकार की नौकरी करते हो।

4. देशीकरण से- कोई विदेशी, जो वयस्क है और 10 वर्ष से भारत में निवास कर रहा हो। भारत सरकार से देशीकरण के प्रमाण पत्र प्राप्त कर भरत का नागरिक बन सकता है।

5. भूमि अर्जन द्वारा- यदि भारत सरकार द्वारा किसी नये भू-भाग को अर्जित कर भारत में इसका विलय किया जाता है अर्थात यदि कोई अन्य राज्य क्षेत्र भारत का भू-भाग बन जाता है, तो भारत सरकार यह विनिर्दिष्ट करेगी की उस राज्य क्षेत्र के व्यक्ति भारत के नागरिक होंगे।

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