राष्ट्रपति
के निर्वाचन की रीति (Manner of Election of The President)
अनुच्छेद 55 के
अनुसार राष्ट्रपति का चुनाव “आनुपातिक
प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली “,द्वारा
गुप्त तरीके से किया द्वारा किया जाता है।
मतगणना(Counting)- राष्ट्रपति पद के चुनाव में मतगणना के लिए एक विशेष
प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रपति पद के लिए उसी व्यक्ति को सफल
घोषित किया जाता है जो कुल वैध मतों का आधे से कम से कम एक मत अधिक अर्थात पचास
प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त करता है। इसे न्यूनतम कोटा कहाँ जाता है। जैसे-
न्यूनतम कोट
= [कुल पड़े वैध मत / 2] +1
राष्ट्रपति
की पदावधि (Term of office of The President)
अनुच्छेद 56 के
अनुसार राष्ट्रपति पद की ग्रहण की तिथि से 5 वर्ष की अवधि तक अपना पद धारण करता
है, किन्तु वह 5 वर्ष से भी पूर्व अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को दे सकता है। जिसकी
सूचना उपराष्ट्रपति सर्वप्रथम लोकसभा अध्यक्ष को देता है।
राष्ट्रपति
पद की रिक्तता की पूर्ति ( Full fill the Vacancy of President office
अनुच्छेद62 के
तहत राष्ट्रपति की पद रिक्ति को भरने के लिए कराये जाने वाले चुनाव का प्रावधान
है। राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने के छः महीने पूर्व चुनाव कराया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति
द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान(Oath or Affirmation by the President)
अनुच्छेद 60 के
तहत राष्ट्रपति को उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश उसकी अनुपस्थिति में उच्चतम
न्ययालय का वरीष्ठ न्यायालय शपथ दिलाता है। यथा; मै
अमुक....
1.
श्रद्धापूर्वक राष्ट्रपति के पदीय कर्त्तव्यों का पालन
करुंगा।
2.
संविधान और विधि का परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण
करुंगा तथा
3.
भारत की जनता की सेवा एवं कल्याण में निरत रहूंगा।
राष्ट्रपति
पर महाभियोग(Impeachment of the President)
राष्ट्रपति पर
महाभियोग की प्रक्रिया अनुच्छेद61 के तहत राष्ट्रपति द्वारा संविधान का अतिक्रमण
करने पर उसके विरुद्ध महाभियोग चलाया जा सकता है।
महाभियोग का
प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है। इस प्रस्ताव की सूचना
राष्ट्रपति को 14 दिन पूर्व प्राप्त होनी चाहिए और प्रस्ताव की सूचना पर उस सदन के
कम-से-कम एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए। यदि प्रस्ताव उस सदन में,
जिसमें वह रखा गया है समस्त सदस्यों के कम से कम दो तिहाई बहुमत से पारित हो जाता
है तो वह प्रस्ताव दूसरे सदन में भेज दिया जाता है। राष्ट्रपति को दूसरे सदन में
स्वयं अथवा अपने किसी प्रतिनिधि के माध्यम से स्पष्टीकरण देने का अधिकार है। यदि
जाँच के पश्चात द्वितीय सदन भी प्रथम सदन की भॉति महाभियोग के प्रस्ताव को
कम-से-कम दो तिहाई बहुमत से स्वीकार कर लेता है तो उसी दिन से राष्ट्रपति का पद
रिक्त समझा जाता है।
ध्यातव्य है कि
राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग की प्रक्रिया में संसद के दोनों सदनों के नामांकित
सदस्य, जो राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नही लेते है , भाग लेते है किन्तु राज्य
विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य तथा दिल्ली व पुदुचेरी संघ राज्य क्षेत्र की
विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भी महाभियोग प्रक्रिया में भाग नही लेते है।
राष्ट्रपति
के चुनाव सम्बन्धी विवाद
अनुच्छेद 71 के
तहत यदि राष्ट्रपति के चुनाव सम्बन्धी कोई विवाद सामने आता है तो उच्चतम न्यायालय
द्वारा दिया गया निर्णय अन्तिम निर्णय होगा। यदि उच्चतम न्यायालय द्वारा किसी
राष्ट्रपति के निर्वाचन को अवैध घोषित किया जाता है तो ऐसे व्यक्ति द्वारा
राष्ट्रपति के रुप में किये गये कार्यों को अवैध नही माना जायेगा।