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गुरुवार, 18 जून 2020

अर्थशास्त्र और अर्थव्यवस्था


अर्थशास्त्र और अर्थव्यवस्था
अर्थशास्त्र और अर्थव्यवस्था के बीच के संबंध को सामान्य रूप से सिंद्धान्त और अभ्यास के दृष्टि से देखा जा सकता है।
अर्थशास्त्र सिद्धान्तोंरोजगार इत्यादि का अध्ययन कराता है ,परन्तु अर्थव्यवस्था किसी विशेष प्रदेश का अर्थशास्त्र होती है। उदाहरण के तौर पर हम कह सकते है-
भारतीयअर्थव्यवस्था,रूसीअर्थव्यवस्था,फ्रांसीसीअर्थव्यवस्था,इत्यादि। यानि एकांत में अर्थव्यवस्था का कुछ मतलब नही है। अर्थशास्त्र के अवधारणाओं व सिद्धान्तों के दिशा में पहला सशक्त प्रयास स्कॉटलैण्ड के प्रख्यात दार्शनिक अर्थशास्त्री एडम स्मिथ द्वाराकिया,जब उनकी पहली पुस्तक 'द  वेल्थ ऑफ नेशन्स(1776) ‘प्रकाशित हुई। संबंधित देशों के फलस्वरुप अर्थव्यवस्था की  तीन प्रणालियाँ विकसित हुई।
1.पूँजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalistic Economy)-
                                                                पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का उद्गम स्त्रोत 1776ई. में प्रकाशित प्रसिद्ध पुस्तक द वेल्थ ऑफ नेशन्स से माना जाता है। स्कॉटलैण्ड में जन्मे एडम स्मिथ(1723-1790) ने जोकि यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के प्रोफेसर थे ,के लेखन ने इस विचारधारा को जन्म दिया। बहुत प्रचलित होते हुए 1800ई. तक इसे पूँजीवादी अर्थव्यवस्था कहाँ जाने लगा जिसकेबाद में कई नाम प्रचलित हुए- प्राइवेट इण्टरप्राइजेज सिस्टमफ्री इंटरप्राइजेज सिस्टम और मार्केट इकॉनामी।
2.राज्य अर्थव्यवस्था (State Economy)-
                                                               इसका प्रारूप जर्मन दार्शनिक कार्ल मार्क्स ने(1818-1883) दिया था। इसकी लोकप्रियता पूँजीवादी का विरोध करती थी,क्योंकि इसमें पूँजीवाद के विपरीत बातों को शामिल किया गया था। इसे केंद्रीकृत नियोजित अर्थव्यवस्था कहते है ,जो गैर-बाजारी अर्थव्यवस्था होती है।
3.मिश्रित अर्थव्यवस्था(Mixed Economy)-
                                                        जब 1929ई. में आर्थिक महामंदी ने यूरोप को अपने चपेट में ले लिया था,ऐसे समय में एक नये विचार ने जन्म लिया,जो मशहूर किताब  द जनरल थ्योरी ऑफ एंप्लायमेंटइंटरेस्ट एण्ड मनी (1936) में शामिल लेखन एक विचाराधारा के रुप में उभरा,जिसे देने वाले मशहूर ब्रिटिश अर्थशास्त्री एवं कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन मेनार्ड केंस(1883-1946) थे। जिन्होनें सुझाव दिया कि पूँजीवाद में समाजवाद के कुछ लक्षणों को अपनाना चाहिए।परन्तु पोलिश दार्शनिक ऑस्कर लैंग(1904-1965) ने 1950 के दशक में वही प्रस्ताव समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं के लिए दिया जो केंस ने पूँजीवाद के लिए दिया था। लैंग ने सरकारी अर्थव्यवस्थाओं को बाजार समाजवाद(मार्केट सोशलिज्म) की तरफ अग्रसर होने की सलाह दी(मार्केट सोशलिज्म शब्द ऑस्कर लैंग की देन है।)