शनिवार, 12 सितंबर 2020

भारत की संसद

                              संसद(PARLIAMENT)

संविधान के भाग-5 के अनुच्छेद 79 -122 तक संसद के बारे में उपबंध किया गया है। यह केन्द्र सरकार का विधायी अंग है। भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था में ससद एक विशिष्ट स्थान रखती है।

संसद का गठन

संविधान के अनुसार भारतीय संसद- राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा से मिलकर बना है। 1954 से पहले राज्यसभा और लोकसभा को क्रमशः राज्य परिषद एवं जनता का सदन कहा जाता है। जिसमें राज्यसभा उच्च सदन या बड़ों की सभा तथा लोकसभा निम्न सदन या लोकप्रिय सभा कहलाती है। क्योंकि राज्यसभा में राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल होते है, जबकि लोकसभा में सम्पूर्ण जनता इनका चुनाव करती है।

संसद में राष्ट्रपति संसद का अंग भले ही है, किन्तु सदस्य नही है, अतः वह संसद में नही बैठता है। किन्तु दोनों सदनों द्वारा पारित कोई विधेयक तभी विधि बनेगा, जब राष्ट्रपति उसे स्वीकृति देता है। राष्ट्रपति संसद के कुछ कार्य यथा- सत्र बुलाना, सत्रावसान करना, लोकसभा को विघिटत करना तथा जब संसद का सत्र न चल रहा हो, तो अध्यादेश जारी करना आदि।

भारतीय संविधान में संसद का गुण ब्रिटेन के संविधान से उद्गृहित है। हालांकि ब्रिटेन में लोकसभा व राज्यसभा के स्तान पर हाउस ऑफ कामन्स तथा हाउस ऑफ लार्ड्स का प्रयोग किया जाता है। जबकि अमेरिका में विधानमण्डल को कांग्रेस कहाँ जाता है। कांग्रेस का निचला सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटिव तथा ऊपरी सदन सीनेट होता है।

लोकसभा की संरचना-

संविधान में लोकसभा की संरचना का उल्लेख भाग-5 के अन्तर्गत अनुच्छेद- 81 के अन्तर्गत आता है। लोकसभा में अधिकतम 552 सीटें निर्धारित की गई है। जिसमें 530 सीटें राज्यों के प्रतिनिधि के लिए, 13 सीटें संघ राज्य क्षेत्रों के लिए तथा 2 सीटें आंग्ल भारतीय समुदाय के लिए आरक्षित है।

1. लोकसभा की 530 सीटें राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों द्वारा प्रत्यक्ष रुप से निर्वाचित होती है। भारत का 18 वर्ष से अधिक उम्र का नागरिक, जो विधि उपबंधों के तहत् अयोग्य न ठहराया गया हो, मत देने का अधिकार है। ध्यात्व्य है, कि 61 संविधान संशोधन 1988 में मत देने की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।

2. संविधान में संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा प्रत्यक्ष रुप से प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार संघ राज्य क्षेत्र अधिनियम 1965 के तहत् दिया गया।

3. यदि लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व न हो, तब राष्ट्रपति इस समुदाय से 2 लोगों को मनोनीत करता है। प्रारम्भ में यह उपबंध 1960 तक के लिए की गई थी, परन्तु 95वें संविधान संशोधन अधिनियम 2009 के तहत् यह अवधि बढ़ाकर 2020 तक कर दी गई।

 

विभिन्न राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेश में लोकसभा के प्रतिनिधि-

लोकसभा के कुल 552 सीटों का राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के लिए निर्धारण निम्नलिखित है-

क्रम संख्या

राज्य / केन्द्रशासित    प्रदेश

लोकसभा में सीटों की संख्या

  (I)         राज्य

1.

आन्ध्र प्रदेश

25

2.

अरुणाचल प्रदेश

2

3.

असम

14

4.

बिहार

40

5.

छत्तीसगढ़

11

6.

गोवा

2

7.

गुजरात

26

8.

हरियाणा

10

9.

हिमाचल प्रदेश

4

10.

झारखंड

6

11.

कर्नाटक

28

12.

केरल

20

13.

मध्य प्रदेश

29

14.

महाराष्ट्र

48

15.

मणिपुर

2

16.

मेघालय

2

17.

मिजोरम

1

18.

नागालैण्ड

1

19.

ओड़ीशा

21

20.

पंजाब

13

21.

राजस्थान

25

22.

सिक्किम

1

23.

तमिलनाडु

39

24.

तेलंगाना

17

25.

त्रिपुरा

2

26.

उत्तराखण्ड

5

27.

उत्तर प्रदेश

80

28.

पश्चिम बंगाल

42

(II)        केन्द्रशासित प्रदेश

1.

अण्डमान निकोबार द्वीप समूह

1

2.

चण्डीगढ़

1

3.

लद्दाख

 

4.

जम्मू और कश्मीर

 

5.

दिल्ली

7

6.

लक्षद्वीप

1

7.

पुडुचेरी

1

8.

 दादरा नगर हवेली और दमन दीव

            2

(III)       नामित सदस्य                   2

      कुल       

545

 

राज्यसभा की संरचना-

संविधान में राज्यसभा की संरचना का उपबंध भाग-5 के अनुच्छेद- 80 में दिया गया है। राज्यसभा में अधिकतम सीटों की संख्या 250 निर्धारित है। जिनमें से 238 सदस्य राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों से निर्वाचित तथा 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाते है।

वर्तमान में राज्यसभा में 545 सदस्य है। इसमें 229 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व तथा 4 संघ राज्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व तथा 12 सदस्य मनीत किये जाते है। राज्यसभा में सदस्यों का निर्वाचित होने की प्रक्रिया  दक्षिण अफ्रीका के संविधान से लिया गया है, जबकि सदस्यों का नामांकन  प्रक्रिया आयरलैण्ड के संविधान से लिया गया है। संविधान की चौथी अनुसूची में राज्यसभा के लिए सीटों का आवण्टन किया गया है।

1. राज्यसभा में राज्यों के प्रतिनिधि का निर्वाचन राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य करते है। प्रतिनिधियों का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है। राज्यसभा में सीटों का बँटवारा उस राज्य की जनसंख्या के आधार पर होता है।

2. राज्यसभा में संघ राज्य क्षेत्रों का प्रत्येक प्रतिनिधि इस कार्य के लिए निर्मित एक निर्वाचक मण्डल द्वारा चुना जाता है। 7 संघ राज्य क्षेत्रों में से केवल 2 (दिल्ली व पुडुचेरी) प्रतिनिधि राज्यसभा में है। अन्य संघ राज्य क्षेत्रों की जनसंख्या कम होने के कारण उन्हें राज्यसभा में उन्हें प्रतिनिधित्व प्राप्त नही है।

3. राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 ऐसे सदस्यों को मनोनीत करता है, जिन्हें कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा के विषयों में व्यवहारिक अनुभव हो।

विभिन्न राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में राज्यसभा के प्रतिनिधि-

राज्यसभा में कुल 250 सीटें आवण्टित है, जिसमें से राज्यों व केन्द्रशासित क्षेत्रों में सीटों का निर्धारण निम्नलिखित है-

क्रम संख्या

राज्य / केन्द्रशासित    प्रदेश

राज्यसभा में सीटों की संख्या

  (I)         राज्य

1.

आन्ध्र प्रदेश

11

2.

अरुणाचल प्रदेश

1

3.

असम

7

4.

बिहार

16

5.

छत्तीसगढ़

5

6.

गोवा

1

7.

गुजरात

11

8.

हरियाणा

5

9.

हिमाचल प्रदेश

3

10.

झारखंड

6

11.

कर्नाटक

12

12.

केरल

9

13.

मध्य प्रदेश

11

14.

महाराष्ट्र

19

15.

मणिपुर

1

16.

मेघालय

1

17.

मिजोरम

1

18.

नागालैण्ड

1

19.

ओड़ीशा

10

20.

पंजाब

7

21.

राजस्थान

10

22.

सिक्किम

1

23.

तमिलनाडु

18

24.

तेलंगाना

7

25.

त्रिपुरा

             1

26.

उत्तराखण्ड

3

27.

उत्तर प्रदेश

31

28.

पश्चिम बंगाल

16

(II)        केन्द्रशासित प्रदेश

1.

दिल्ली

3

2.

                  पुडुचेरी

        1

(III)       नामित सदस्य                  12

      कुल       

245

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