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शनिवार, 13 जून 2020

भारत का संविधान और संविधान की उद्देशिका

भारत का संविधान         

 भारतीय संविधान सर्वोच्च है,जिसकी रक्षा एवं व्याख्या का अधिकार उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त है। भारत में संविधान सभा  के गठन का विचार वर्ष 1934 में पहली बार एम. एन. रॉय दिया था। सन् 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से पण्डित जवाहर लाल नेहरु ने घोषणा की कि स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण व्यस्क मताधिकार पर चुने गए संविधान सभा द्वारा किया जायेगा, जिसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नही होगा। संविधान सभा के लिए चुनाव जुलाई-अगस्त 1946 में हुआ। जिसमें ब्रिटिश भारत के लिए कुल 296 सीटें आवंटित की गई थी।इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 208 सीटें, मुस्लिम लीग को 73 सीटें तथा छोटे समूह व स्वतन्त्र सदस्यों को 15 सीटें मिली थी। जबकि देशी रियासतो को प्रदान की गई 93 सीटें नही भर पाईं। क्योंकि वे संविधान सभा से अलग हो गये थे।

संविधान सभा की प्रथम बैठक 9दिसम्बर,1946 को हुई। मुस्लिम लीग ने इसका बहिष्कार किया और अलग पाकिस्तान की माँग पर अड़े रहे। इस बैठक में केवल 211सदस्यों ने हिस्सा लिया था। इस सभा के अस्थायी अध्यक्ष के रुप में डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा को चुना गया। तथा बाद में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुएऔर टी.टी.कृष्णामाचारी एवं डॉ. एच.सी. मुखर्जी इसके उपाध्यक्ष चुने गए। पण्डित जवाहर लाल नेहरु ने 13 दिसंबर 1946 को उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया। जिसे 22जनवरी,1946 को सर्व सम्मति से स्वीकार कर लिया गया।देशी रियासतों के प्रतिनिधि धीरे-धीरे इसमें शामिल होने लगे। और 28अप्रैल,1947 को छः राज्यों के प्रतिनिधि सभा के सदस्य बन चुके थे। 3जून 1947 को भारत के बंटवारे के लिए पेश की गयी। जिसके तहत सदस्यों की कुल संख्या 389सीटों की बजाय 299 तक आ गिरी। भारतीय प्रांतों की संख्या 296 से 229 और देशी रियासतों की संख्या 93 से 70 कर दी गई।

संविधान का प्रारुप तैयार करने के लिए 29अगस्त,1947 को प्रारुप समिति का गठन किया गया। इसके अध्यक्ष भीमराव अम्बेडकर थे। इस समिति में अध्यक्ष सहित कुल 7सदस्य थे। जो निम्नलिखित है।

1. डॉ. भीमराव अम्बेडकर

2. एन. गोपालस्वामी अयंगर

3. अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर

4. डॉ. के. एम. मुंशी

5. सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला

6. एन. माधव राव (बी.एल. मित्र के स्थान पर नियुक्त)

7. टी.टी. कृष्णामाचारी(1948 में डी.पी.खेतान के मृत्यु पश्चात् नियुक्त)

संविधान का प्रारूप डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने सभा में 4 नवंबर, 1948 को प्रस्तुत किया। जिसे 26नवम्बर,1949 को पारित कर दिया गया।

अन्य कार्य-  संविधान के निर्माण कार्य के अलावा संविधान सभा ने निम्न कार्य किये।

·        इसने मई 1949 में राष्ट्रमण्डल में भारत की सदस्यता का सत्यापन किया।

·        इसने 22 जुलाई,1947, को राष्ट्रीय ध्वज अपनाया गया।

·        इसने 24 जनवरी,1950 को राष्ट्रीय गान अपनाया गया।

·        इसने 24 जनवरी,1950 को राष्ट्रीय गीत अपनाया गया।

·        इसने 24 जनवरी,1950 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया।

2साल, 11माह, 18दिनों में संविधान सभा की कुल 11 बैठकें हुईं। संविधान निर्माताओं ने लगभग 60देशों का अवलोकन किया और इसके प्रारूप पर 114 दिनों तक विचार हुआ। संविधान के निर्माण हेतु कुल 64 लाख रुपये का खर्च हुआ था। 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की अन्तिम बैठक हुई थी तथा 26 जनवरी,1950 से 1951-51 में हुए आम चुनाव के बाद बनने वाली नई संसद के निर्माण तक भारत की अंतरिम संसद के रुप में काम किया। भारत के संविधान निर्माण के बाद 3 अप्रैल,1952 में सर्वप्रथम राज्यसभा तथा 17अप्रैल,1952 को लोकसभा का गठन हुआ। राज्यसभा की पहली बैठक 13 मई,1952 तथा  लोकसभा की पहली बैठक 13 मई,1952 को हुई थी।

भारत का संविधान 26 नवम्बर,1949 को अंगीकृत किया गया था। इसी दिवस को संविधान दिवस के रुप में मनाया जाता है। संविधान को अंगीकृत करने के पश्चात् संविधान के अनुच्छेद 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 379, 380, 388, 391, 392 और 393 स्वतः ही लागू हो गए थे तथा शेष प्रावधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुए। जिस दिन गणतन्त्र दिवस के रुप में मनाया जाता है।

प्रेम बिहारी नारायण रायजादा भारतीय संविधान के सुलेखक थे, जिन्होनें मूल संविधान को एक प्रवाहमय (इटैलिक) शैली में हस्तलिखित किया गया है।  26 नवम्बर,1949 को अपनाए गए मूल संविधान में प्रस्तावना,395अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थी। प्रस्तावना को पूरे संविधान को लागू करने के बाद लागू किया गया। मूल प्रस्तावना को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा हस्तलिखित एवं बिउहर राममनोहर सिन्हा द्वारा ज्यातिमय, सौंदर्यकृत एवं अलंकृत किया गया था। मूल संविधान के हिन्दी संस्करण का सुलेखन वसंत कृष्ण वैद्य द्वारा किया गया जिसे नन्दलाल बोस ने सुन्दर ढ़ंग से अलंकृत एवं ज्यातिमय किया गया।

 

उद्देशिका

              हम, भारत के लोग, भारत को एक [ संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष एकतंत्रात्मक गणराज्य ] बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों कोः

                                सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय,

                                विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना

                                की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता

प्राप्त कराने के लिए,

तथा उन सब में

                        व्यक्ति की गरिमा और  [ राष्ट्र की एकता और अखण्डता ]

                        सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए

दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949ई.(मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छः विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते है।

प्रत्येक अधिनियम का आरम्भ उद्देशिका से होता है, जो उसके मुख्य आदर्शो का उल्लेख करती है। उद्देशिका संविधान के अधिनियमों के नीतियों को समझने में सहायता करती है। ‘भारतीय संविधान की उद्देशिका संविधान निर्माताओं के विचारों को जानने की कुंजी है। भारतीय संविधान की उद्देशिका का स्त्रोत पण्डित जवाहरलाल नेहरु द्वारा संविधान सभा में 13दिसम्बर,1946 को प्रस्तुत किया गया और 22 जनवरी 1947 को स्वीकृत उद्देश्य प्रस्ताव और आस्ट्रेलिया का संविधान है। क्योंकि संविधान की प्रस्तावना में निहित भावनायें उद्देशय प्रस्ताव तथता आस्ट्रेलिया के संविधान से प्रेरित है।

    42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा उद्देशिका में पहला संशोधन उद्देशिका के पहले पैरा में ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द तथा छठें पैरा में ‘और अखण्डता’ शब्द जोड़कर किया गया।

संविधान की उद्देशिका में प्रयुक्त शब्दों का अर्थ निम्नलिखित है-

·        हम भारत के लोग-  उद्देशिका का प्रारम्भ इसी शब्द से होता है। जिसका मतलब यह है, कि संविधान का मूल स्त्रोत भारत की जनता है। वही समस्त शक्तियों का केन्द्र बिन्दु है। भारतीय संविधान भारत की जनता की इच्छा का ही परिणाम है। यह शब्द संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर उद्देशिका में प्रयुक्त ‘हम संयुक्त राष्ट्र के लोग’ से लिया गया है।

·        समाजवादी (Socialist)-  42वें संविधान संशोधन अधिनियम1976 के तहत् इस शब्द को उद्देशिका में जोड़ा गया है। भारतीय समाजवाद लोकतान्त्रिक है।

·        सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न (Sovereign)-   उद्देशिका के अनुसार भारत एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न राष्ट्र होगा। अर्थात भारत अपने आन्तरिक व बाह्य मामलों में किसी विदेशी सत्ता के अधीन नही होगा। वह अपना निर्णय स्वयं लेने में समर्थ है।

·        पंथ निरपेक्ष (Secular)-   यह शब्द भी उद्देशिका में 42वें संविधान संशोधन के ही तहत् जोड़ा गया है। जिसका अर्थ यह है, कि किसी धर्म को विशेष मान्यता न प्रदान करके सभी धर्मों को समान मान्यता व संरक्षण प्रदान करना।

·        लोकतंत्र (Democracy)-  लोकतंत्र से तात्पर्य है,कि जनता का शासनभारत में जनता अपने द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन चलाती है। इसे अप्रत्यक्ष लोकतांत्रिक प्रणाली या प्रतिनिधि प्रणाली कहते है।

·        गणराज्य (Republic)-   भारत एक गणराज्य है। इससे तात्पर्य है कि भारत का राष्ट्राध्यक्ष निर्वाचित किया जायेगा न कि वंशानुगत। गणराज्य के अन्तर्गत सभी नागरिक समान होते है।

·        न्याय (Justice)-   उद्देशिका भारतीय जनता को तीन प्रकार का न्याय सुनिश्चित कराने का संकल्प व्यक्त करती है। 1. सामाजिक 2. आर्थिक 3. राजनैतिक।

·        स्वतन्त्रता (Freedom)-  उद्देशिका लोगों को विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता प्रदान करती है। 

·        समानता (Equality)-   उद्देशिका सभी नागरिकों को प्रतिष्ठा एवं अवसर की समानता प्रदान करती है।