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रविवार, 6 सितंबर 2020

सोलह महाजनपद

 

महाजनपद

उत्तर वैदिक काल के जनपद अब महाजनपदों में परिवर्तित हो गए। बौद्ध  ग्रन्थ के अंगुत्तर निकाय एवं जैन ग्रन्थ भगवती सूत्र में सोलह महाजनपदों का उल्लेख मिलता है। इसका वर्णन निम्नलिखित है-

1. अंग- उत्तरी बिहार के वर्तमान मुंगेर तथा भागलपुर के जिले अंग महाजनपद के अन्तर्गत आते थे। इसकी राजधानी चम्पा थी। इस नगर का वास्तुकार महागोविन्द था। प्राचीन काल में भट्टिय को पहले पराजित कर मगध राज्य के कुछ भाग पर अधिकार कर लिया था, परन्तु बाद में बिम्बिसार ने अंग को मगध में मिला लिया।

2. मगध- यह आधुनिक पटना, गया और शाहाबाद जिले के अन्तर्गत आता है। पालि ग्रन्थों में इसकी राजधानी गिरिब्रज ( राजगीर ) का उल्लेख मिलता है।

3. वज्जि- यह गंगा के उत्तर में आधुनिक तिरहुत प्रमण्डल में पड़ता है। यहा आठ कुलों का संघ था, जिनमें तीन कुल- विदेह, वज्जि तथा लिच्छवि प्रमुख थे। लिच्छिवियों की राजधानी वैशाली था, जो इस समय बसाढ़ नामक स्थान पर स्थित था। बसाढ़ उत्तरी बिहारी के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित है।

4. काशी- यह वज्जि के पश्चिम में स्थित था, जिसकी राजधानी वाराणसी थी। और यहाँ का राजा ब्रह्मदत्त था, जिसने कोसल पर विजय प्राप्त की थी लेकिन बाद में कोसल के राजा कंस ने काशी को कोसल में मिला लिया।

5. कोसल- इसकी राजधानी श्रावस्ती थी। जो आधुनिक उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में सहेत-महेत गाँव में पड़ता है। कोसल का विस्तार उत्तर में नेपाल से दक्षिण में सई नदी तथा पश्चिम में पांचाल से लेकर पूर्व में गण्डक नदी तक था। जिसे सरयू नदी दो भागों में बाँटती थी। उत्तरी कोसल तथा दक्षिणी कोसल। उत्तरी कोसल की राजधानी श्रावस्ती तथा दक्षिण कोसल की राजधानी कुशावती थी। यहाँ का राजा प्रसेनजित था, जो बुद्ध का समकालीन था।

कोसल में शाक्यों का कपिलवस्तु गणराज्य भी शामिल था। जो अब उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के पिपरहवा नामक स्थान पर है। शाक्यों की दूसरी राजधानी लुम्बिनी थी। बुद्ध के पूर्व ही कंस ने काशी को जीता था, जिसका उत्तराधिकारी महाकोशल हुआ। काशी उस समय व्यापार तथा वस्त्र उद्योग का एक महत्वपूर्ण केन्द्र था, जो आज भी वस्त्रों एवं साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। महाकोशल के पश्चात् काशी का उत्तराधिकारी उसका पुत्र प्रसेनजित बना, फिर प्रसेनजित का पुत्र विड्ढूब शासक बना, जो एक दासी पुत्र था। इसने शाक्यों को आक्रमण कर नष्ट कर दिया। लेकिन युद्ध से वापस लौटते समय अचिरावती ( राप्ती ) नदी की बाढ़ में अपनी पूरी सेना के साथ वह नष्ट हो गया।

6. मल्ल- यह पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में पड़ता है। इसके दो भाग थे। जिसमें पहले की राजधानी कुशीनगर तथा दूसरे की पावा थी जहाँ महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्ति हुई थी तथा कुशीनगर में गौतम बुद्ध को।

7. वत्स- यह क्षेत्र आधुनिक इलाहाबाद में पड़ता है, जिसकी राजधानी कौशाम्बी थी। विष्णु पुराण के अनुसार हस्तिनापुर के राजा निचक्षु ने हस्तिनापुर के गंगा प्रवाह में बह जाने के बाद इस नगर कौशाम्बी को अपनी राजधानी बनायी थी। बुद्ध के समय में वत्स में पौरव वंश का शासन था। यहाँ का शासक उदयन था, जिसकी अवन्ति के राजा प्रद्योत से घोर शत्रुता थी। प्रद्योत की कन्या वासवद्त्ता और उदयन के प्रेम-विवाह को अनुमति देने पर इनमें मित्रता हो गई। उदयन को प्रसिद्ध बौध भिक्षु पिण्डोला ने बौद्ध मत में दीक्षित किया था। कौशाम्बी भी व्यापार के लिए प्रसिद्ध नगरों में एक था। हाल ही के उत्खनन में यहाँ से उदयन का विशाल राजप्रसाद प्राप्त हुआ है।

8. कुरु- यह मेरठ, दिल्ली तथा थानेश्वर क्षेत्र के भू-भाग में आता था। इसकी राजधानी इन्द्रप्रस्थ थी। जहाँ प्राचीन काल महाभारत का हस्तिनापुर हुआ करता था। बुद्ध के समय में यहां का राजा कौरव्य था। प्रारम्भ में यह एक राजतन्त्रात्मक राज्य था, जो बाद में गणतन्त्रात्मक हो गया।

9. पांचाल- यह आधुनिक रुहेलखण्ड के बरेली, बदायूँ तथा फर्रुखाबाद जिले में पड़ता था। इसके दो भाग था- उत्तरी पांचाल तथा दक्षिणी पांचाल। जिसमें उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र( वर्तमान का रामनगर ) तथा दक्षिणी पांचाल की राजधानी काम्पिल्य ( वर्तमान के फर्रुखाबाद का कम्पिल ) था। द्रौपदी भी पांचाल की ही थी।

10. अवन्ति- यह पश्चिम भारत में पड़ता था। जिसमें मालवा व मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्र आते थे। अवन्ति दो भागों में उत्तरी अवन्ति तथा दक्षिणी अवन्ति में बँटा था। जिसमें उत्तरी अवन्ति की राजधानी उज्जैन तथा दक्षिणी अवन्ति की राजधानी महिष्मती थी। बुद्ध के समय में यहाँ का शासक चण्डप्रद्योत था। चण्डप्रद्योग की पीलिया बीमारी का उपचार बिम्बिसार के राजवैद्य जीवक ने किया था। यह बौद्ध धर्म का प्रमुख केन्द्र था। मगध सम्राट शिशुनाग ने इसे अपने राज्य में मिला लिया।

11. शूरसेन- यह ब्रजमण्डल क्षेत्र में आता था, जिसकी राजधानी मथुरा थी। यूनानी लेखकों नें इस राज्य को शूरसेनोई तथा राजधानी को मेथोरा कहते थे। कृष्ण यही के राजा थे। बुद्ध काल में यहाँ का राजा अवन्ति पुत्र था।

12. चेदि- आधुनिक बुंदेलखण्ड का इलाका इसके अन्तर्गत आता था। यह यमुना नदी के किनारे स्थित था। इसकी राजधानी सोत्थिवती थी, जो महाभारत काल में शक्तिमती थी। महाभारत काल में यहाँ का राजा शिशुपाल था।

13. मत्स्य- यह जयपुर के आस-पास का क्षेत्र था। इसके संस्थापक विराट के नाम पर इसकी राजधानी का नाम विराटनगर था। इस राज्य में वर्तमान के अलवर एवं भरतपुर का एक भाग भी सम्मिलित था।

14 .अश्मक- यह गोदावरी नदी के तट पर स्थित था। इसकी राजधानी पोतना अथवा पोटिल थी। यह जनपद दक्षिण भारत महाराष्ट्र क्षेत्र में आता था।

15. गांधार- यह पेशावर तथा रावलपिण्ड इलाके के अन्तर्गत आता था। इसकी राजधानी तक्षशिला थी। जो प्राचीन काल में विद्या तथा व्यापार का प्रमुख केन्द्र था। रामायण के अनुसार इस नगर की स्थापना भरत के पुत्र तक्ष ने की थी। इस नगर में दूसरा प्रमुक नगर पुष्कलावती था। छठी शताब्दी ईसा पूर्व में यहाँ का शासक पुष्कर-सारिन था, जिसने अवन्ति शासक चण्डप्रद्योग को पराजित किया था।

16. कम्बोज- यह उत्तरापथ में स्थित था। जो आधुनिक समय में राजौरी तथा हजारा जिले में स्थित था। इसकी राजधानी राजपुर अथवा हाटक थी। कौटिल्य ने कम्बोजों को वार्ताशस्त्रोपजीवी संघ अर्थात् कृषि, पशुपालन, वाणिज्य तथा शस्त्र द्वारा जीविका चलाने वाला कहा है। प्राचीन समय में यह नगर श्रेष्ठ घोड़ों के लिए विख्यात था।

इन सोलह जनपदों में चार जनपद मगध, वत्स, कोसल, तथा अवन्ति अत्यधिक शक्तिशाली थे। जिनमें मगध ने श्रेष्ठता हासिल की। और मगध महाजनपद में हर्यक वंश का उद्य हुआ, जिसका संस्थापक बिम्बिसार था।